मार्शल ने दिखाई सूझबूझ, कोरोना संदिग्ध को बस में नहीं बैठाया, एंबुलेंस से भेजा अस्पताल
डीटीसी में तैनात मार्शल, ड्राइवर और कंडक्टर की सूझबूझ से न केवल एक संदिग्ध मरीज को वक्त पर अस्पताल पहुंचाया जा सका बल्कि कोरोना संक्रमण के खतरे से भी सभी को बचा लिया गया।
 

कर्मियों ने संदिग्ध मरीज को बस में सफर करने देने की बजाय एंबुलेंस और पुलिस के जरिए मरीज को अस्पताल भिजवाया। लॉकडाउन के दौरान पहचान पत्र देखने के बाद ही बसों में प्रवेश का मौका दिया जा रहा है। 

नरेला से नजफगढ़ के बीच रूट नंबर 708 पर चलने वाली डीटीसी की एसी बस को डिचाऊं कला के पास जय विहार बस स्टॉप के पास एक व्यक्ति ने रुकवाया। उसके साथ दो महिलाएं भी थीं।

ड्यूटी पर मुस्तैद मार्शल कंवरजीत ने उनसे पूछा कहां जाना है, पहचान पत्र दिखाएं। जवाब में संदिग्ध मरीज और साथ मौजूद महिलाओं ने बताया कि सुबह से करीब साढ़े तीन घंटे से एंबुलेंस का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन नहीं आई।


जब बताई बुखार की बात तो बस रोककर एंबुलेंस बुलाई


आखिरकार, ड्राइवर सतबीर सिंह ने मार्शल के कहने पर बस को वहीं खड़ी करते हुए अन्य यात्रियों को उतरने को कहा। इसके बाद 112 और 100 नंबर पर कॉल कर, पुलिस और एंबुलेंस को बुलाया ताकि मरीज की मदद हो सके। एंबुलेंस से अस्पताल भेजने के बाद बस को सेनिटाइज करवाया गया।

ड्राइवर सतबीर ने बताया कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान सभी तरह के एहतियात बरते जा रहे हैं। जब मरीज ने बताया कि उसकी तबियत खराब है तो तत्काल उसकी मदद की।

मार्शल कंवरजीत की सराहना करते हुए कहा कि सुबह से ही बस में प्रवेश करने वाले सभी यात्री से पूछताछ और आईडी कार्ड देखने के बाद ही प्रवेश करने दे रहे थे। लॉकडाउन के दौरान ऐसे हालात में एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचवाने के लिए मानवता का धर्म निभाया।

यात्री को अस्पताल भेजने के बाद तत्काल डिचाऊं डिपो पर बस को दो बार सेनिटाइज करवाया। मार्शल ने बताया कि मैंने अपनी जिम्मेदारी निभाई और कोई भी व्यक्ति अगर बीमार है तो बस में सफर करने की बजाय एंबुलेंस को बुलाना चाहिए।