तेजी से फैल रहा है कोरोना वायरस, आखिर क्यों नहीं मिल रहा है इलाज?

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ जानलेवा कोरोना वायरस (coronavirus) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है. अभी तक कोरोना वायरस की वजह से चीन में 170 लोग मौत का शिकार हो चुके हैं और हुबेई में कोरोना से प्रभावित 1032 केस सामने आए हैं. बीबीसी में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना वायरस दरअसल एक बड़ी वायरस फैमिली का हिस्सा है. लेकिन इसमें से केवल 6 ही वायरस ऐसे हैं जो मनुष्य की सेहत को प्रभावित कर सकते हैं. कोरोना वायरस इस फैमिली का छठा सदस्य है. कोरोना वायरस का शुरूआती लक्षण बुखार है. इसके कुछ दिन बाद संक्रमित व्यक्ति को खांसी आनी शुरू हो जाती है. इसके कुछ दिन बाद सांस लेने में भी तकलीफ महसूस होने लगती है. कोरोना वायरस फेफड़ों को प्रभावित करता है. इस वायरस की सबसे ख़ास बात ये है कि मरीज को बुखार होने से काफी पहले कोरोना उसे संक्रमित कर चुका होता है. इसलिए कई बार ये अंदाजा लगाना काफी मुश्किल हो जाता है और शुरुआत में इस बीमारी का पता नहीं चलता है जिस वजह से रोकधाम में देरी हो जाती है. लेकिन इन सके बीच जो सबसे अहम सवाल है वो ये है कि आखिर अभी तक कोरोना वायरस का इलाज क्यों नहीं खोजा जा सका है....


समुद्री बेलुगा व्हेल हो सकती है वाहक:
दरअसल, अभी तक कोई भी पुख्ता तौर पर यह पता नहीं लगा पाया है कि कोरोना वायरस का वाहक कौन सा पशु है. अगर इसका पता एक बाद लग जाता है, तो कोरोना के कहर को रोक पाना संभव हो सकेगा . इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि समुद्री बेलुगा व्हेल (सफ़ेद व्हेल) इस वायरस की वाहक हो सकती है. लेकिन चीन के वुहान के जिस बाजार में सी-फ़ूड बेचे जाते हैं वहां कई जानवरी जैसे सांप, मछली, मुर्गी को ज़िंदा भी रखा जाता है. जरूरत के अनुसार इन जानवरों को जिबह कर बेचा जाता है. इस बात का भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि ये जानवर भी कोरोना के वाहक हो सकते हैं.



हॉर्सशू चमगादड़ पर भी है शक:


लेकिन अगर 1 दिसंबर 2019 की रिपोर्ट पर नजर डाली जाए तो वुहान के सी-फ़ूड मार्केट और कोरोना वायरस का कोई कनेक्शन नहीं है. कुछ साइंटिस्ट का यह भी कहना है कि कोरोना वायरस का स्वरुप कुछ हद तक हॉर्सशू चमगादड़ जैसा है. इस बात की संभावना हो सकती है कि चमगादड़ के जरिये ये वायरस किसी दूसरे जानवर के पास पहुंचा हो और फिर उस जानवर के जरिए इंसानों में.

संक्रामक है कोरोना वायरस:कोरोना वायरस का कहर जब शुरू हुआ था तब वैज्ञानिक ऐसा मानकर चल रहे थे कि कोरोना वायरस संक्रामक नहीं है. लेकिन कुछ मामले सामने आने के बाद यह पता चला है कि यह वायरस 1.4 से लेकर 2.5 लोगों को प्रभावित कर सकता है.